***तुम जब से गये हो***
क्या कहूँ मैं तुझसे, मुझे क्या हो गया है,,,
तुम जब से गये हो, मेरा सब कुछ खो गया है,
चांद भी कतराता है मेरी छत पर आने से,
अब नही आता बादल भी मेरे बुलाने से,
फूल भी ना जाने क्यों कांटे बो गया है
तुम जब से गये हो मेरा सब कुछ खो गया है,,,
अब समुंदर में कभी लहरें नही आती,
कोयल भी मेरी छत पर अब नही गाती,
आईना भी न जाने क्यों चुप हो गया है
तुम जब से गये हो मेरा सब कुछ खो गया है
पांव चलते है मगर मंजिल नही मिलती
आंखे रोती है मगर शबनम नही गिरती
मेरा तो चलते-चलते रास्ता भी खो गया है
तुम जब से गये हो मेरा सब कुछ खो गया है...!!!
अवतार रॅायत
न्यू दिल्ली-१५
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