Tuesday, February 28, 2012
***माँ के हाथ का साया है***...50 Last
***माँ***
माँ के हाथ का साया है, ज़न्नत की बहार,
बचपन की बातें, आज फिर याद आई एक बार,
जब माँ को बोला था, मैंने माँ पहली बार,
माँ की आँखों में था, मेरे लिए बे-इन्तहा प्यार,
जब पैदा हुआ था, तो कुछ नहीं था मैं,
माँ के आर्शिवाद से, आज हूँ बहुत कुछ मैं,
लालच कुछ नहीं होता कभी, माँ को मगर,
अच्छा होता माँ को दे दूँ, दिल तोहफ़े में अगर,
माँ को छोड़ देते हैं, दुनियां में कुछ आभागे लोग,
ज़िन्दगी मैं उनको नहीं मिलता, सुख कभी किसी रोज,
किस्मत वाले ही अक्सर, माँ के प्यार को पाते हैं,
चाहे कुछ भी हो जाये, वो अपना फर्ज़ निभाते हैं,
माँ ने खुद धूप सह-कर, छाँव का सुख दिया है,
फिर भी माँ को हमने, जाने कितना दुख दिया है,
काश कुरबान कर दूँ मैं, सब कुछ माँ की सदा पर,
मुझको हमेशा प्यार करे वो, मेरी इसी अदा पर,
आँखों से ना दूर करना, खुदा की इस तस्वीर को,
साथ रख के माँ, तुम बना लो अपनी तकदीर को,
माँ की आँखों में कभी, तुम आँसू ना देना
कर के माँ की सेवा,,माँ से सदा दुआ लेना...!!!
अवतार रॅायत
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Nice poem on Maa
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