avtar rayat
Friday, February 3, 2012
***नज़रो की गुस्ताख़ी***
नज़रो की गुस्ताख़ी माफ़ कीजिए,
तुम हाथ अपने का सहारा दीजिए,
नज़रों के इशारे तो आप के समझ गये हैं,
अब लबों से भी तो कोई इशारा कीजिए...!!!
॰॰॰अवतार रॅायत॰॰॰
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