हम न भूलेंगे..कभी भी..मेहरबानी आपकी...
दिल से रखेंगे..लगाकर हर निशानी आपकी,
तोड़ डाले..सारे वादे..सारी क़समें तोड़ दीं...
तूमने हमसे ये कहा था..हैं दिवानें आपके,
ज़िन्दगानी में कोई तो..ऐसा काम कीजिये...
हो मिसाल इस जहाँ में..ज़िन्दगानी आपकी,
हमें क्यों कहा..हम तुम्हारे क़ाबिल नहीं हैं...
वाह..खूब..मेरे महबूब...क़द्ररदानी आपकी,
कह देते..ख़ता है मेरी..लेकिन हम चुप रहे...
ये सोचकर...बढ़ न जाए बदगुमानी आपकी,
तुम्हारी बातें सुनकर..ये चाँद-तारे रो दिए...
क्यों न रोते सुन रहे थे..मुहं-ज़बानी आपकी,
लैला-मज़नू को ज़माना..इक दिन भूल जायेगा...
जब सुनेगा हर किसी से ये कहानी आपकी...!!!
अवतार रॅायत
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