Wednesday, March 21, 2012

***नदीयों की धाराओं को***

ऐ जान,,,
नदीयों की धाराओं को कैसे मोड़ दें
पलकों के ख्वाब को कैसे तोड़ दें,
तुम मुझे चाहोगे, इतनी तो उम्मीद भी नहीं करते,
पर तुझे पाने की उम्मीद हम कैसे छोड दें...!!!

अवतार रॅायत

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