avtar rayat
Friday, March 23, 2012
***एक दिन हम घर से निकले***
एक दिन हम घर से निकले
दिल में बड़े अरमान थे,,,
एक तरफ़ थी बागे-ए-बहार,,
एक तरफ़ श्मशान थे,
चलते-चलते गल्ती से
पैर टकरा गया कुछ हड्डीयों से
तो हड्डीयों के ये बयान थे
ऐ चलने वाले,,,जरा देख के चल,
हम भी कभी इंसान थे,,
अवतार रॅायत
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